एड्स पीड़िता ने तालाब में कूदकर जान दी, 36 एकड़ में फैला जलाशय खाली करवा रहे ग्रामीण

कर्नाटक के हुबली के मोरब गांव में एक एड्स पीड़िता ने तालाब में कूद कर आत्महत्या कर ली। इसके बाद से मोरब और उसके तीस किलोमीटर के आस-पास के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की मदद से 36 एकड़ में फैले इस तालाब को खाली करना शुरू कर दिया। लोगों को डर है कि अब तालाब के पानी का इस्तेमाल करने से इलाके में एड्स फैल जाएगा

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर तालाब खाली करने का बनाया दबाव
महिला की लाश 29 नवंबर को तालाब में तैरती मिली थी। इसे आधा मछलियों ने खा लिया था। इसके बाद से ग्रामीणों ने तालाब का पानी पीने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों के मुताबिक, महिला एड्स पीड़िता थी। लोगों ने जिला प्रशासन पर तालाब खाली करने का दबाव बनाया।

नवलगुंड तहसीलदार नवीन हुल्लूर ने बताया कि प्रशासन को तालाब खाली करने की लोगों की मांग माननी पड़ी। उन्होंने बताया कि आठ टैंकरों के साथ हजारों की संख्या में लोग तालाब को खाली करने के लिए आए थे। उनका कहना था कि अगर प्रशासन तालाब को खाली करने में उनकी मदद नहीं करता तो वे खुद इसे खाली कर लेंगे।

स्थानीय लोगों का दावा है कि तालाब को बुधवार रात या गुरुवार सुबह तक खाली कर लिया जाएगा। इसके बाद इसकी सफाई की जाएगी। इसे 20 दिसंबर को मालाप्रभा नहर से भरा जाएगा। लगातार पानी निकालने की वजह से इलाके के घरों में भी पानी भर गया।

पानी से नहीं फैलता एड्स
हुबली चीफ मेडिकल ऑफिसर डा. प्रभु बिरादर ने बताया कि एड्स पीड़िता द्वारा तालाब में आत्महत्या करने के बाद लोगों में डर है। वे तालाब खाली कर रहे हैं। लेकिन यह बिल्कुल गलत है, क्योंकि पानी से एचआईवी नहीं फैलता।

तिब्बत के एक गांव में भूस्खलन के बाद पहाड़ी का एक हिस्सा ब्रह्मपुत्र नदी में गिर गया। घटना 16 अक्टूबर को हुई। इससे चीन में नदी का पानी रुक गया है और कृत्रिम झील बन गई है। पहाड़ से गिरी चट्टानों के कारण कृत्रिम झील में अस्थाई बांध बन गया है, जिसके टूटने पर तिब्बत से सटे अरुणाचल प्रदेश में भारी बाढ़ आने की आशंका है। राज्य के पूर्वी सियांग इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अरुणाचल के कांग्रेस सांसद निनोंग एरिंग ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस मामले में दखल देने की अपील की है।

चट्टानें हटने पर अचानक बढ़ेगा जलस्तर
चीन की यारलुंग सांगपो नदी को तिब्बत से अरुणाचल में प्रवेश के बाद सियांग कहा जाता है। यही सियांग असम में प्रवेश के बाद ब्रह्मपुत्र कहलाती है। भूस्खलन के चलते अरुणाचल में सियांग का जलस्तर कम हो गया है। आशंका है कि अगर ब्रह्मपुत्र में गिरी चट्टानें हटेंगी तो अचानक जलस्तर बढ़ेगा और अरुणाचल में बाढ़ आएगी।

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